Rasa Panchadhyayi- Hindi Translation श्रीमद-भागवतम के दसवें सर्ग से पांच अध्याय जो सभी लीलाओं के मुकुट रत्न यानी व्रज-गोपियों के साथ श्री कृष्ण की रास-लीला का विस्तार करते हैं। इसमें श्री श्रीधर स्वामी, श्रील जीवा गोस्वामी और श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर की टिप्पणियां और उनके अनुवाद शामिल हैं।
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